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ज़िंदगी आसान कैसे बनाएं?

कहते हैं – Beauty lies in the eyes of the beholder. बिल्कुल सच बात है। बस देखने वाली नज़र चाहिए। कुदरत ने चारों तरफ खूबसूरती बिखेर रखी है। लेकिन आज कल की भाग-दौड़ वाली ज़िंदगी में ठहर के देखने का वक़्त किसके पास है। हमने आसान से जीवन को इतना कठिन कर लिया है कि चारों ओर सिर्फ परेशानियाँ और दुःख दिखाई पड़ते हैं। प्रकृति से हम दूर होते चले गए हैं। असली पेड़ों की जगह नकली पेड़ों ने ले ली है और असली फूलों की जगह नकली फूलों ने। इतना ही नहीं असली हंसी को भी नकली हंसी ने विस्थापित कर दिया है। तो क्या माना जाए कि अब यही जीवन है। क्या ऐसे ही जीना पड़ेगा? चलिए आज इसका उत्तर ढूँढने की कोशिश करते हैं।

काम ज़िंदगी का हिस्सा है और एक स्वस्थ जीवन के लिए काम करना बहुत जरूरी है। लेकिन कई लोग काम को ही जीवन समझ लेते हैं, और ये उनकी सबसे बड़ी भूल है। मसलन कोई व्यक्ति अगर नौकरी में है, और अगर उसका काम उसके घर तक आ रहा है तो उसके दुःख के कारणों में ये एक बड़ा कारण है। आप जिस भी कंपनी में काम करते हैं उसको आप पहले ही 10 घंटे दे चुके होते हैं। और कंपनी भी आपको उसी 10 घंटों के लिए तनख्वाह देती है। फिर बाकी समय आपके परिवार का है, और दुनिया की कोई भी कंपनी आपके परिवार से बड़ी नहीं हो सकती। यदा-कदा की बात अलग है, लेकिन नौकरी पेशा लोगों को ऑफिस के काम को ऑफिस तक ही सीमित रखना चाहिए। शाम का वक़्त परिवार के साथ ही होना चाहिए। साथ में टीवी देखें, रेडियो सुनें, चाय-कॉफी पियें, या बच्चों को अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों के बारे में बताएं। ऐसे में आपके बच्चे मानसिक तौर पर आपसे जुड़ेंगे भी और आपके अनुभवों से सीखेंगे भी।

भौतिकवाद की दौड़ में रिश्ते कहीं पीछे छूटते जा रहे हैं। बड़े शहरों में बच्चों को पता ही नहीं कि संयुक्त परिवार जैसी कोई चीज दुनिया में मौजूद रही है। खैर, ये आज के युग में ये मजबूरी भी है। तमाम लोग चाह कर भी एक साथ नहीं रह पाते। लेकिन दुःख की बात ये है कि अलग-अलग रहने के कारण लोगों में प्रेम की कमी देखी जा रही है। लोग रिश्तों की अहमियत नहीं समझ रहे। उनमें ईर्ष्या और जलन बढ़ती जा रही है। इसलिए ये थोड़ा ठहर जाने का वक्त है। रिश्तों में नवीनता लाने की जरूरत है। फिर चाहे वो रिश्ता भाई-भाई का हो, माता-पिता के साथ का हो, बेटे-बेटियों के साथ का हो, या चाचा-ताऊ के साथ का हो। छुट्टी के दिन साथ लंच या डिनर करें। कभी साथ मूवी देखने चले जाएँ। कभी वाटरपार्क, एडवेंचर पार्क या ऐसी किसी अन्य जगह भी जा सकते हैं। सार ये है कि हर इंसानी रिश्ते का अपना महत्व है और एक स्वस्थ जीवन के लिए रिश्तों का अच्छा होना बहुत जरूरी है। समय-समय पर रिश्तेदारों से फोन पर बात करते रहें। ये बिल्कुल मोबाईल रिचार्ज के जैसा है। रिश्तों को भी रिचार्ज करते रहें।

जितना हो सके प्रकृति के नजदीक रहें। अगर आप अपार्टमेंट में रहते हैं तो थोड़ी बहुत बागवानी जरूर करें। अपने लगाए पौधों को बढ़ता हुआ देखने का सुख अलग ही होता है। समय-समय पर बोटैनिकल गार्डन जैसी जगहों पर जरूर जाएँ। शहर में कोई बोटैनिकल शो, फ्लॉवर शो जैसी कोई चीज लगी हो तो वहाँ बच्चों को जरूर लेकर जाएँ। ऐसे में बच्चों में उत्सुकता जगेगी और वे भी प्राकृतिक सौन्दर्य की तरफ़ आकर्षित होंगे। पार्कों में जाएँ, पहाड़ों में जाएँ, नदियों के पास जाएँ और यथासंभव कान्क्रीट के जंगलों से बचें।

पढ़ना शुरू करें। मोबाईल और इंटरनेट के जमाने में पढ़ना तो लोग लगभग भूल ही गए हैं। लेकिन पढ़ने की आदत खुद में और बच्चों में भी डालें। ये न सिर्फ आपको जानकारी देगा बल्कि आपके सोचने के नजरिए को भी विस्तृत करेगा। दुनिया में जितने भी महान लोग हुए हैं उन सभी में एक चीज जो कॉमन है, वो ये कि उन सभी को पढ़ने का बहुत शौक था। फिर चाहे आप विवेकानंद का उदाहरण ले लें, या फिर आइनस्टीन, लियोनार्डो दी विंची, रबीन्द्रनाथ टैगोर, रूसवेल्ट, ओशो रजनीश, विंस्टन चर्चिल इत्यादि लोगों का। और अगर आज के समय में देखें तो दुनिया के सबसे powerful लोगों में से एक एलॉन मस्क को भी पढ़ने का बहुत शौक है। बस एक बार शुरू करने की देर है, एक बार पढ़ना शुरू कर दें तो फिर किसी को भी ये अच्छी आदत लग सकती है।

सिर्फ अच्छे मित्र बनाएं। लोगों को लगता है कि मित्र बनाना बहुत आसान है लेकिन शायद ये सबसे कठिन काम है। एक अच्छा मित्र मिलना भी किस्मत की बात है। अच्छा मित्र वो है जो हमेशा आपको सही रास्ता दिखाए। खुद नुकसान खा ले, किन्तु आपका नुकसान न होने दे। आपकी सफलता में खुश हो और आपके दुःख में दुःखी। मैत्री करें तो अर्जुन-कृष्ण वाली, न कि दुर्योधन और कर्ण वाली। लेकिन लोगों की मित्रता अमूमन होती है गलत कामों से। आप एक गलत आदत पाल लें और वैसे ही तमाम सारे मित्र आपको मिल जाएंगे। सबसे ज्यादा दोस्ती कराती है नशे की आदत। आप सिगरेट पीना शुरू कर दें और आप पाएंगे कि कितनी जल्दी तमाम सारे आपके दोस्त बन जाएंगे। आप शराब पीना शुरू कर दें और आप पाएंगे कि कितने सारे और मित्र आपके बन गए। लेकिन ऐसे मित्रों से हमेशा बचना चाहिए। मित्र वो हों जिनसे आप अपने दिल की हर बात कह सकें। मित्र ऐसा हो जिससे आपको सकारात्मक ऊर्जा मिलती हो। वो अगर आपके साथ हो तो आप खुद होकर रह सकें, हो सकें। किसी तरह के तकल्लुफ की कोई जगह न हो। वो आपको हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे। अपनी गलत आदतों को आप पर न थोपे। यदि ऐसा एक भी मित्र आप को मिल जाए तो आप जीवन में बहुत सफलता हासिल कर सकते हैं।

रचनात्मक काम करें। हमेशा अपने खाली समय में कुछ क्रिएट करने की कोशिश करें। ये आपको एक सेन्स ऑफ अचीवमेंट देगा जिससे आपको खुद पर फ़क्र होगा और आपको बहुत खुशी हासिल होगी। महिलायें घर को सजाने के लिए क्राफ्टस बना सकती हैं, या फिर छोटी-मोटी चीजें सिलाई-कढ़ाई से बना सकती हैं। कोई नई डिश बना सकती हैं। कोई पेंटिंग, कोई स्केचिंग, या कोई गीत लिख सकती हैं। पुरुषों को खाली समय में किचन में कुछ बना सकते हैं। सर्वे ऐसा कहते हैं कि जिन घरों में पुरुष किचन में कुकिंग करते हैं, उन घरों का माहौल बहुत अच्छा रहता है। मसलन छुट्टी के दिन पुरुष चाय बना सकते हैं, गर्मियों में मैंगो शेक या लस्सी बना सकते हैं। कोशिश करें कि जब भी किचन में काम करें, संगीत का सहारा भी लें। चाहे रेडियो पर कुछ बजा लें या फोन पर संगीत चला लें। जो भी काम करें उसमें मन लगाएं। जब पुरुष घर के कामों में हाथ बटाते हैं, तो ये घर के सभी सदस्यों के बीच में बान्डिंग मजबूत करने का काम भी करता है।

स्वास्थ्य पर जरूर ध्यान दें। दिन में हर रोज कम से कम एक घंटा अपने शरीर को दें। चाहे योग करें, जिम जाएँ, लेकिन नियमित तौर पर करें जरूर। शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए ध्यान भी जरूर करें। यूं ही नहीं कहते – A healthy mind resides in a healthy body.

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