“नया भारत”
स्टैन्ड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने देश को एक नया मुद्दा दे दिया है। वैसे ये पहली बार नहीं है जब कुणाल ने अपनी कॉमेडी से कुछ लोगों की भावनाओं को आहत किया है। विवादों और कुणाल का चोली-दामन वाला साथ रहा है। खैर, हम भूत में न जाकर सिर्फ इस नए-ताज़े मुद्दे पर अपनी बात रखेंगे जिसने पूरे देश में और खास कर के महाराष्ट्र में अच्छा खासा बखेड़ा खड़ा करके रख दिया है। 23 मार्च को “नया भारत” नाम से कुणाल का कॉमेडी शो यूट्यूब पर अपलोड हुआ और होते ही वायरल हो गया। इस शो में कुणाल ने अंबानी की शादी से अपना एक्ट शुरू किया। अंबानीज़ और उनके मेहमानों के ऊपर तरह-तरह के पर्सनल कॉमेंट करते हुए वो ह्यूमर पैदा करने की कोशिश करने लगे। वैसे जिस तरह का तमाशा शादी के नाम पर पूरे देश में किया गया था, वो भी अपने आप में किसी कॉमेडी से कम नहीं था। यहाँ तक ठीक था। खैर, उनके वीडियोज़ और शोज देखने से एक चीज तो कन्फर्म है कि वो धुर भाजपा विरोधी हैं। और शायद यही कारण है कि उनकी और ध्रुव राठी की खूब जमती है। खैर, लोगों की अपनी-अपनी राजनैतिक पसंद होती है और ऐसा करने का उनको पूरा हक है।
समस्या यहाँ खड़ी होती है जब कॉमेडी के नाम पर कॉमेडियन्स अपनी भड़ास निकालना शुरू कर देते हैं और सारी मर्यादाएं लांघ जाते है। उनको लगता है कि वो देश में किसी को भी कुछ भी कह सकते हैं, लेकिन उनको कोई कुछ न कहे। और जैसे ही कोई कुछ कहे या करे वो वो ‘फ्रीडम ऑफ स्पीच’ का झण्डा लेकर रोना शुरू कर देते हैं। ध्रुव राठी ने तो इंकलाब ज़िन्दाबाद का नारा भी लगा डाला। वैसे इंकलाब ज़िन्दाबाद का उपयोग तो आज कल कोई भी कैसे भी कर लेता है। केजरीवाल भी दारू घोटाले में जब फँसते हैं तो ‘इंकलाब ज़िन्दाबाद’ का नारा लगा डालते हैं। अब शिवसेना ने जिस स्टूडियो में ये शो रिकार्ड हुआ, उसमें जाकर तोड़-फोड़ की। असल में बात ये है कि भाजपा से नफरत करने में कोई हर्ज नहीं है, हर्ज है अपना विरोध जताने के तरीके में।
क्या ये वाकई “नया भारत” है? नए भारत में क्या लोग ऐसे कॉमेडी के नाम पर समय रैना और रणवीर के जैसे अश्लीलता फैलाएंगे। कुणाल कामरा के जैसे लोग कॉमेडी के नाम पर अपनी भड़ास निकालेंगे। कॉमेडी के लिए दूसरों का अपमान जरूरी है क्या? बॉडी-शेमिंग, गाली-गलौज, और गंदगी परोसना जरूरी है क्या? राजू श्रीवास्तव जैसे कॉमेडियन्स भी हुए हैं जिन्होंने नेताओं के सामने खड़े होकर उनकी नकल निकालकर कॉमेडी की है, लेकिन वो कॉमेडी इतनी स्वस्थ होती थी कि वो नेता भी खुल कर हँसते थे। कुणाल कामरा की कॉमेडी ऐसी है कि उनको जान से मारने की धमकियाँ मिल रही है। हालाँकि, ऐसा भी नहीं होना चाहिए। लेकिन कुणाल को भी एक लाइन ड्रॉ करनी पड़ेगी और समझना पड़ेगा कि क्या वो वाकई में कॉमेडी कर रहे हैं या फिर किसी एजेंडे के तहत काम कर रहे हैं। आलोचना सत्ता रूढ पार्टी की होनी ही चाहिए। लेकिन, आलोचना और खुद के अंदर की भड़ास निकालने में फ़र्क होता है। आलोचना रचनात्मक हो तो मजा आता है, लेकिन वहीं अगर नकारात्मक हो तो फिर वो किसी काम की नहीं होती। लोगों को इस मानसिकता से बाहर निकलना चाहिए कि या तो आप इस पार हैं या फिर उस पार। सही को सही और गलत को गलत कहना चाहिए। लेकिन यहाँ पर कुणाल कामरा जैसे लोग पहले ये तय कर लेते हैं कि वो किस तरफ़ हैं, फिर ये तय करते हैं कि वो जिसके विरोध में हैं वो हमेशा ही गलत हैं, वो कभी सही हो ही नहीं सकते।
कुणाल कामरा आगे भी कॉमेडी करते रहेंगे और हम चाहते भी हैं कि ऐसा हो। लेकिन उम्मीद ये रहेगी कि उनकी कॉमेडी सकारात्मक हो जिससे वाकई में कुछ बदलाव आए। लेकिन यदि वो सिर्फ अपनी भड़ास निकालने के लिए ऐसा करते रहे तो फिर शायद जो लोग आज उनको सपोर्ट कर रहे हैं वो भी उनके एजेंडे को समझ जाएँ, जैसा कि इंडिया अगेंस्ट करप्पशन मामले में हुआ था। क्योंकि, आज नहीं तो कल झूठ का भांडा फूटता ही है।
अगर आपने अभी तक ये वीडिओ नहीं देखा है तो नीचे दिए लिंक पर देखें, और खुद तय करें क्या सही है क्या गलत?